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Blackbeauti Archana

Inspirational Others

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Blackbeauti Archana

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मैं औरत हूँ... मैं शरीर भी हूँ

मैं औरत हूँ... मैं शरीर भी हूँ

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21वीं सदी का 21वाँ साल चल रहा है। और मार्च का महीना आते ही women’s day special poem in hindi या english में सर्च होना और पोस्ट होना शुरू हो जाता है। वैसे तो पूरी दुनिया में कुछ ही महिलाओं को ही इसका सम्मान मिल पाता है । लेकिन अच्छा लगता है कि एक दिन स्पेशल महिलाओं के लिए होता है।

 

इसी धूम में सब रंगते हैं और women’s day special poem search करते हैं। एक महिला लेखिका के रूप में इस कविता के माध्यम से यह दर्शाने की कोशिश की है कि चाहे जो भी चाहे कितना भी women’s day मना लें क्या कभी वह दिन भी आये गा कि जब इस तरह जिल्लत मन में ना आये कि मैं इंसान नहीं सिर्फ शरीर हूँ…..।


मैं औरत हूँ

देखो ना

मैं शरीर भी हूँ

हाँ मैं औरत हूँ…

मैं इंसान नहीं

मुझमें प्राण नहीं

मैं नज़रों का

बस धोखा हूँ

मेरा कोई

अधिकार नहीं

कि अपने बारे में

सोच सकूँ

हर घर की

शोभा है मुझसे

हर नज़र में

मैं निलाम हूँ

क्योंकि शरीर हूँ

हाँ मैं औरत हूँ


अपनी पहचान

बना लूँ चाहे

दुनिया में नाम

कमा लूँ चाहे

आसमान की

ऊँची उड़ान भर के

सारा आसमान

नाप लूँ चाहे

पर देखने में

सिर्फ शरीर हूँ

क्योंकि औरत हूँ

मेरी अपनी मर्जी

नहीं यहाँ

यहाँ काम बने

मेरा शरीर देखकर

पुरुषों की क्या

बात करें

औरत ने ही

खुद को शरीर

बनाया है

पुरुषों ने सदियों

से राज किया

ये औरतों को

क्यूँ न समझ

आया है

शायद इसीलिए

शरीर हूँ

हाँ मैं औरत हूँ


इन शरीरों में

मैं कौन हूँ

मेरा क्या

अस्तित्व है

मेरी क्या

पहचान है

मेरी क्या

औकात है

मन कर दे

वो चाह हूँ मैं

जैसे कोई

सामान हूँ मैं

मन कर दे

वो वाक्य है

औकात मेरी

बता दिया

कि मैं शरीर हूँ

मैं औरत हूँ….

हाँ मैं औरत हूँ

उफ् मन ही

कर दे ना

ग़र मेरा भी

कर दे तो ?

मैं चरित्रहीन

हो जाऊँगी

और वेश्या

कहलाऊँगी

इज्जत जाएगी

खानदान की

बदनामी बड़ी

हो जाएगी

क्योंकि मैं

औरत हूँ ??…

हाँ मैं औरत हूँ


पुरुषों की नज़र में

मैं बस शरीर ही हूँ…

मैं कामकाजी हूँ

बस इसलिए नहीं

चारदीवारी में भी

मैं शरीर हूँ

अपनों की नज़र में

परायों की नज़र में भी

सिर्फ शरीर नहीं

स्त्रीत्व को देखा

कोई संभाल रहा

कोई उघाड़ रहा

हर कोई मुझे बस

पछाड़ रहा

क्योंकि मैं स्त्री हूँ

मैं औरत हूँ

मैं ग्राह्यता हूँ

मैं जननी हूँ

नहीं मैं

सिर्फ शरीर हूँ…..


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