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Jayashri Kailas Patil

Inspirational Others

3.3  

Jayashri Kailas Patil

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मै ज़िंदगी से रुसवाई क्यों करूँ

मै ज़िंदगी से रुसवाई क्यों करूँ

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मै ज़िंदगी से रुसवाई क्यों करूँ ?

जब की मै जानु की,

अस्तित्व ही है जिसका,

धुप और छाँव की परछाईं


गुज़ारिश तो सिर्फ नैनो से करुँगी,

सब्र करो मेरे हमसफर,

मत भुलना, सब्र का फल मिठा होता है !

मेरे नैना, मत बहने देना अनमोल आँसूको,

देखना एक दिन वे खुशी से झूम उठेगा ।


क्योंकी वक्त का जन्म

ठहरने के लिये नहीं,

गुज़र जाने के लिये होता है,

तकलीफ़ तो सिर्फ इतनी होती है की,

वो धुप में थोडा दबे पाँव चलता है।


मै ज़िंदगी से रुसवाई क्यों करूँ ?

मै तो डटकर खड़ी रहूँगी,

धुप में भी वक्त के सामने,

क्योंकी मै जानती हूँ की,

ये किसी का कुछ बिगाड़ नहीं सकता।


हाँ, ये डराने की कोशिश जरूर करता है,

लेकिन मै इससे डर जाऊ ये हो नहीं सकता।

मै तो सूनहरे ख़ाब नैनो में लेकर खड़ी हूं,

दोस्तो मुझे कोई हरा नहीं सकता।


अगर कड़ी धुप में मेरा तनमन सुक जाये,

तो फिकर नहीं दुनियावालो,

क्योंकी आनेवाली छाँव इतनी शितल होगी,

की वो हर घाव को बडे प्यार से भर देगी।


मै ज़िंदगी से रुसवाई क्यों करूँ ?

डर महसूस होगा तो आँखें बंद कर लूँगी,

क्योंकी सामने अँधेरा हो तो,

डरावने पलो की फिकर नहीं होती।


बंद आँखों से ही झाक़कर, कह दूँगी हृदय से,

अपनी शक्ति बनाये रख ए मेरे जीवनसाथी,

क्योंकी, दिया और बाती की रोशनी,

अब हमसे दुर जो नहीं।


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