STORYMIRROR

Sanjay Raghunath Sonawane

Abstract Inspirational

2.5  

Sanjay Raghunath Sonawane

Abstract Inspirational

मानवसेवा

मानवसेवा

1 min
27.5K


मानव सेवा कर्म हमारा,

मानव सेवा धर्म हमारा,

खून, खून से रिश्ता हमारा,

मानव भाई है सब हमारा |


भेद नही, जात नहीं है,

धरती हमारी माता है,

आसमान है पिता हमारा,

नदीया हमारी बहनें हैं।


चाँद, सूरज से रिश्ते हैं,

कभी भेद नहीं, न हीं टुटते है,

ऐसे हैं हम मानव भाई,

रिश्ता हमारा अलग नही है।


सत्य के राह पर चलते है,

विज्ञान को अपनाते है,

सबकी राह अलग अलग है,

लेकीन मंजिल एक है ।


मानव सेवा कर्म हमारा,

मानव सेवा धर्म हमारा,

खून खून से रिश्ता हमारा,

मानव जाती है सब हमारा ।


रोटी, कपड़ा और मकान,

यही है हमारी जान,

दुःखियोंका दुःख हटाना है,

भूखे लोगोंको खिलाना हैं ।


प्यासों की प्यास हटाना हैं,

यही हमारा कर्म हैं,

यही हमारा धर्म है,

यही हमारी सेवा है ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract