मानव धर्म और शिक्षक
मानव धर्म और शिक्षक
मानव जन्म पा करके, मानवता को अपनाना है,
धीरज,,धैर्य,सहनशीलता से मानव धर्म निभाना है।।
जीवन में सत् कथनों, उपदेशों पर चल कर सभ्य समाज बनाना है,
नए समाज का विकास करते हुए शिक्षक धर्म निभाना है।।
धर्म के पालन पथ पर चलकर धर्माडंबरों को दूर भगाना है,
जो भटक रहे हैं धर्म-तत्व,भ्रम,अज्ञान, अंधेरों में,
शिक्षा की रोशनी से उनका जीवन गरिमामय बनाना है।।
देश में फैली कुरितियों को ज्ञान की रोशनी से हटाना है,
नकरात्मक उर्जा को खत्म करके सकारात्मक भावों को मन में जगाना है।।
