मां शब्द की महिमा
मां शब्द की महिमा
मां सुखद अनुभूति है तो
शीतलता का आवरण भी है,
मां शब्द जीवन के दुख, तकलीफ़ की
तपिश को अपने में ढक लेता है।।
मां शब्द ही हमें जीवन से
लड़ने की शक्ति देता है,
मां ही हमारी जीवनदायिनी है,
अनन्त शक्तियों की धारणी है।।
मां ही शुभाशीष है,
मां ही ईश्वरीय शक्ति का प्रतिरूप है,
मां शब्द अवर्णनय है,
इसमें सारा ब्रह्माण्ड समाया है।।
मां शब्द पशु-पक्षियो को आत्म-निर्भर ब
नाने की ताकत देता है,
उन्हें स्वावलंबी और कुशल बना अपने
कर्तव्य का पालन करता है।।
मां शब्द ही मनुष्य में सद्गुण,
संस्कार और नम्रता भरता है,
मां शब्द कभी दुख नहीं देता है,
हमारे सभी कष्ट हर लेता है।।
विजयलक्ष्मी आज कलम हाथ में लिए
मां के ममत्व को सोचती हैं,
मां शब्द का कोई पार नहीं पा सकता है
इसकी महिमा तो अपार है।।
इंसान अपना कर्तव्य भूलकर
पत्थरों में मां को ढूंढता है,
आओ हम अपनी जन्मदात्री मां की सेवा कर
उसका ऋण चुकाते हैं।।
