माँ
माँ
पलक हो या पलकें हों,
तेरे आँचल की छाँव हो,
सुंदर है,सुशील है,
तेरी गोद में मैं जो हूँ,
माँ तेरी ममता तेरी छायाँ,
है,जो कोयले की काया,
काया नहीं ये साया है,
मेरे जीवन की मोह माया है,
तेरी गोद में सोता था,
तेरी गोद में खेलता था,
चंचल सी मधुर सी
कोमल सी शीतल तू है,
कठोर सी नरम सी
मधुर सी तेरी माया है,
संग रहना साथ रहना
तुझसे यही कहना है,
हो कर घोर अँधेरा भी
यही मुझे कहता है,
साया है तू,काया है तू,
तेरी ही है दुनिया,
मेरे हाथो में जो
तेरा हाथ था,
संग-संग जब बचपन में
में तेरी उंगली जो
थाम कर चला था,
अब भी अँधेरा हे
मेरे जीवन में कहीं न कहीं,
फिर भी हम ख़ुशहाल हैं,
तेरे साथ तेरे पास जो हैं हम,
तेरे ही बच्चे हैं,
तेरे ही लाडले हैं,
मन,मंदिर,का मान तू,
तुझसे जो पहचान मिली,
सारी दुनिया अब देख रही,
क्या था,मैं और क्या
से क्या अब हो गया,
तेरे आशीर्वाद से में
ओर आकर्षित हो गया!