माँ
माँ
ममता मूरत, हृदय सरल।
नहीं उपजता, चित्त गरल।
नेह बहाती, सदा तरल।
निस्पृह करती, दान सकल॥१॥
कुक्षि रचाती, नवल वदन।
हृदय बनाती, प्रेम-सदन ।
करे नौ मास, गर्भ वहन।
प्रसव कष्ट भी, करे सहन॥२॥
माँ सुख देती, प्रसन्न मन।
चाहे झेले, कष्ट गहन।
कष्ट न पावे, जातक तन।
करती माता, कोटि जतन॥३॥
जात देखकर, खिले नयन।
उसके हित का, करे चयन ।
पोषण करती, रात व दिन।
माँ बलिहारी, पल पल गिन॥४