माँ
माँ
सौ जन्म भी लूँ मैं अगर
तो भी तेरा कर्ज़ अदा ना कर सकूँ
यह सांसें पड़ जाएँ कम
अगर तेरा त्याग गिनने जो मैं बैठू ।।
जाने कितने ही नामों से अलंकृत है तू।
बच्चों के लिए प्रेम अमृत है तू।।
विकट, विषम, व्याकुल मन में
जिसका ख्याल आता है ।
चोट लगने पर मुख जिसे बुलाता है
उस जननी को मेरा प्रणाम
मेरा हर एक जीवन तुझ पे कुर्बान।।