माँ
माँ
ना कभी कहती हो
हाँ हमेशा कहती हो
चाहें जो हो
माँ तुम हमेशा साथ रहती हो
बीमार हो जाती हूँ
तो रातभर जागती हो
साथ मे रहकर बिमारी को भगती हो
थक जाती हो काम से
पर फिर भी मुस्कुराती हो
परीक्षा के लिए जब जाती हूँ
तुम्ही शक्कर लेकर आती हो
हमेशा सच्चाई की राह पर चलती हो
मुझे सच्चाई के रास्ते कहती हो
सोचती मेरे बारे मे रात रात जागकर
माँ तुम बहोत साधी हो पैसे बचाती हो
मुझे खुद से भी ज्यादा चाहती हो
कपडे की मुझे कमी नही
पर खुदको तरसाती हो
मुझे अच्छा रख कर
खुद वैसे रह जाती हो
मैंने नही देखा तुम्हे
खुद के लिए कुछ लेते हुऐ
बस देखा है मुझे देते हुए
माँ कोई चाहकर भी तेरी परछाई नही बन पायेगा
क्यूंकि
तेरे जैसा त्याग दुनिया मे कोई कर नहीं पायेगा |
-- शिवानी संजय सोळंके