माँ सरस्वती वंदना
माँ सरस्वती वंदना
वीणावादिनी, हे माँ शारदे
हमको कुछ ऐसा वर दे
लिखूँ प्रेम जनगण के मन में
भावप्रवणता मुझमें भर दे।।
वीणावादिनी कुछ ऐसा वर दो
उल्लासित करूं मैं जन-जन को
करूं वंदना में जीवन अर्पित
शरण, चरण में दो मुझको।।
उत्साह नया संचार करूं
लेखनी से व्यवहार करूं
प्रेम भाव भरूं जन-मन मे
नवयुग का आह्वान करूं।।
साहस की सरिता हो प्रवाहित
जीवन में तप-त्याग समाहित
सत्य-संचयन मुझमें भर दो
माँ वीणावादिनी वर दो मुझको।।
सुमति सदा व्यवहार हो जग में
मनुजता का भाव हो जग में
हो परस्पर सम्मान सभी का
मधुर भाव हृदय में भर दो।।
माँ वीणावादिनी ऐसा वर दो
भावप्रवणता जग में भर दो।।