मां सच्ची या सच्चा मैं हूं ?
मां सच्ची या सच्चा मैं हूं ?
मेरी मां ने कहा था बेटे छोटा है तू
रोज़ ये बाता सोच सोच मैं खुद से पुछूं
मां सच्ची या सच्चा मैं हूं ?
पहले तो ये जाना भी ना मैया है क्या ?
चिल्लाती भी ईतराती ये औरत है क्या ?
खाना भी देती थी फिर भी गुस्सा करती
और अकेले जा के रोती करती है क्या ?
रिश्ता रस्ता रोज़ सीखाती चुप रह के वो
कितना बोला उसने मैंने सुना भी है क्या ?
एक ये छोटी बात है बडी़ कैसे कह दूं ?
रोज़ ये बाता सोच सोच मैं खुद से पुछूं…
मां सच्ची या सच्चा मैं हूं ?
गद्दा बिस्तर थाली कपडें सब कुछ मैले
स्कूल से आ के फैंक दिया था कैसे थैला
सब कुछ सब दिन ठीक रहा पर ऐसे जैसे
सब कुछ मैंने किया ना उसने देखा जैसे
और अगर कोई कह दे कुछ भी मेरे बारे
वो संभाले हंस के कर दे न्यारे न्यारे।
पता नहीं था पता चलेगा एक दिन ही यूं
रोज़ ये बाता सोच सोच मैं खुद से पूछूँ
मां सच्ची या सच्चा मैं हूं ?
