माँ कहती थी
माँ कहती थी
थोड़े सुख में भी खुशियाँ अपार मना लिया करना।
ग़र हो दुःखों की बारिश अश्क छुपा लिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
हो बात कभी झगड़ने की, अपनों से बिगड़ने की,
तो सिर अपना झुका लिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
चाहे राहें भरी हो काँटों से, चाहे शूल लगे हो पगतल में,
तुम कदम खुद बढ़ा लिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
जब रूठने लगी हो जिंदगी, छूटने लगी हो हर खुशी,
तुम हौसला खुद जुटा लिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
कदम जब लड़खड़ाने लगे, मुश्किलें जब बढ़ने लगे,
तुम हिम्मत सदा किया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
घिर जाए जब काली घटाएं, चमकने लगी हो बिजलियाँ,
तुम घर द्वार लगा लिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
जीवन में पतझड़ हो, चाहे झाड़ खड़े हो पथ में,
तुम नव कुसुम बिछा लिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
आँखों से मोती ना गिराना, आँचल में सजा लिया करना।
मिलो जब तुम झोली में गिरा दिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।
छलिया है दुनिया चाहे, तुम विश्वास खुद पर रखना।
सुनना कानों से और दिल में सब दबा लिया करना।
पर बेटी तुम मुस्कुरा लिया करना।।