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Sonam Aggarwal

Inspirational

4  

Sonam Aggarwal

Inspirational

माँ एक एहसास

माँ एक एहसास

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माँ,

ये एक शब्द नहीं, एक एहसास है

तेरे मेरे रिश्ते में कुछ खास है।

यूँ तो खून का रिश्ता न जाने कितनों से है,

लेकिन इस रिश्ते में कुछ अलग ही

जज़बात है।।


माँ, जब तूने जन्म दिया 

तू कहा करती थी कि मैंने तेरे अस्तित्व

को पूरा किया है।

लेकिन जब मैं इस लायक हुई की

कुछ समझ सकूँ तो मैंने जाना 

मेरा तो अस्तित्व ही तेरा दिया हुआ है।।

माँ, एक शब्द नहीं एक एहसास है...


जब भी पापा से पैसे चाहिए थे या फिर

ट्रिप पर जाने की इजाज़त तो दौड़ कर

तेरे पास आती थी मैं,

यूँ तो डर तुझे भी लगता था बात पापा

से कहने में।

कहीं सुनने को न मिले बिगड़ गए तो

हाथ तेरा ही होगा इसमें,

लेकिन मेरी ख़ुशी के लिए तू वो भी

सुन लिया करती थी।।

क्योंकि माँ एक शब्द नहीं एक एहसास है...


तुझे सबका ख्याल है घर मैं,

तेरा दिन दादा-दादी की चाय,

पापा के टिफिन, हमारे नाश्ते से शुरू होता

फिर दिन भर के काम और रात के खाने की

चिंता से ख़त्म होता।

मैंने पूछा, कभी खुद पर भी ध्यान दिया होता,

तो माँ कहती है-

माँ का जीवन ही कुछ ऐसा है,

उसका कर्त्तव्य ही उसकी पेट-पूजा है।

इच्छा तो किसी चीज़ की नहीं,

बस प्यार और दिया गया सम्मान ही सही।।

क्योंकि माँ एक शब्द नहीं एक एहसास है...


माँ,

तूने चलना सिखाया, गिरकर खड़ा होना सिखाया,

हर वक़्त तू मेरे साथ थी, जरूरत जब थी।

आज मेरा वक़्त है तुझे थामने का, तुझे

पकड़कर चलाने का,

तू लाख कहे पर छोडूंगी ना आँचल तेरा।।

क्योंकि माँ एक शब्द नहीं एक एहसास है...


ये कैसी रीत है इस संसार की, इतने साल

पलकों पर बिठाया राजकुमारी की तरह

आज मुझे विदा करने को मजबूर हो रही है तू।

मुझे पता है तेरे लिए आसान नहीं रहा होगा माँ,

एक आँख में ख़ुशी और दूसरी आँख में

आँसू लिए होगी तू।।

क्योंकि माँ एक शब्द नहीं एक एहसास है..      

             

                         



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