कोरोना जान लेने आया
कोरोना जान लेने आया
कुदरत ने ये कैसा क़हर है ढाया,
कोरोना सबकी जान लेने आया।
यूँ तो बहुत लोगों की जान ली है इसने
लेकिन टूटे रिश्तों और अपनों को साथ भी ले आया।।
जिन सड़कों पर होता था ट्रैफिक हमेशा,
रेड लाइट होने पर भी रुकने का नाम न होता था किसी का।
हॉर्न बजाए बिना काम चलता नहीं था उनका
आज वीरान है वो सड़कें, पूछती है हुआ क्या है ऐसा।।
क्यूंकि कुदरत ने ये कैसा कहर है ढाया........
हर सिक्के के पहलू होते है दो,
मैं जो देख पा रही हूँ तुम भी तो देखो।
उस कुदरत ने हमें साथ रखने के लिए कहर ढाया,
देखो आज पूरा परिवार एक साथ रहने आया।।
ऐ कुदरत तूने ये कैसा कहर ढाया.............
ऐ कुदरत, पछतावा है मुझे जो साथ तेरे मैंने किया,
फिर भी तूने बच्चा समझ हर बार मुझे माफ किया।
तूने हर चीज़ का अपना ही मूल्य बनाया,
लेकिन इंसान इसे समझने की कोशिश भी नहीं कर पाया।।
कुदरत ने ये कैसा कहर है ढाया........
अब कुदरत कह रही है------
नारी को मैंने देवी समान बनाया, शक्तिशाली बनाया,
इतना दर्द सहकर नया जीवन देने के काबिल बनाया।
ऐ इंसान, तेरी हैवानियत देख रह नहीं पाऊंगा,
तुझे सज़ा देने ही आऊंगा।।
कुदरत ने ये कैसा कहर है ढाया........
मैंने तुझे रहने क लिए धरती, पानी, आकाश दिया,
सोचा था काबिल है तू हिफाजत करेगा।
लेकिन पता नहीं था तू आस्तीन का सांप निकलेगा
तू ही मुझे गन्दा करने, काटने पर उतारू होगा ।।
कुदरत ने ये कैसा कहर है ढाया........
इस दुनिया में सबको मैंने एक समान बनाया ,
लड़का- लड़की, जात-पात, अमीर- ग़रीब ना किया ।
मेरी बनाई सृष्टि में होता कौन है तू भेदभाव करने वाला,
देख इंसान मेरी ताकत, सबको कैसे एक साथ मैंने कर डाला।।
कुदरत ने ये कैसा कहर है ढाया........
