माँ धरित्री ... #prompt-1
माँ धरित्री ... #prompt-1
बना दिया बंजर , सुनसान मुझे ..
उजाड़कर रख दी कोख मेरी ...
हरी भरी थी ..
सजी धजी रहती थी ..
गोद में लेकर सहलाती ,बलखाती थी तुम्हें...
पर तुमने क्या किया अपने स्वार्थ के कारण ..
कहीं का न छोड़ा ..
नष्ट करके रख दिया ..
मन तो नही चाहती दूं सज़ा तुम्हें ..
कितना बचाना चाहा ..
पर तुमने अपने खुद के कारण ..
खुद का विनाश रचाया ..
अब तो सुधर जाओ ..
धरती माँ को और तकलीफ न दो ...
तभी निकल पाओगे इस घोर अंधेरे में से ..
तभी जी पाओगे , खुशहाली भरे जीवन से ....।