Sonia Madaan

Abstract

4.0  

Sonia Madaan

Abstract

लफ्ज़।

लफ्ज़।

1 min
80


दिल के पन्नों पर बिखरे हुए लफ़्ज़ों को 

समेटने की एक कोशिश है मेरी

लफ्ज़ कुछ कहे, कुछ अनकहे

कुछ मुस्कान भरे

कुछ दर्द में लिपटे,

रंग-बिरंगे तो कुछ फीके,

हंसी-खुशी का जामा पहने

कुछ आंसूओं में भीगे हुए,


वक्त के साथ-साथ तीखे हुए लफ्ज़ 

चुभ जाते हैं कभी,

तो कुछ अपने एहसास से

पुरानी यादें महका जाते हैं कभी,

खुशी भरे लफ्ज़ों में अब भी चमक है

जो पास आकर जख्मों पर

मरहम लगा जाते हैं कभी,


जिंदगी सुख-दुख का सागर है

तो ये लफ्ज़ 

उस सागर में डूबे अनमोल मोती,

हर मोती की अपनी कीमत,

अपना वजूद, अपनी कहानी

अपनी चमक,

पूरा करेंगे ये .....मेरी जिंदगी की कहानी को

तो कैसे न समेटूं 

मेरे दिल से निकले इन लफ़्ज़ों को?



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract