लिख दो गाथा जीत की
लिख दो गाथा जीत की
लिख दो गाथा जीत की, नवल इतिहास बने पावन-पुनीत राष्ट्र का,
नहीं परिहास बने अमरत्व का वरदान हो, व्यवहार में विनय हो स्वतंत्रता की जय हो, वीरगति विजय हो
प्रतिकार का भाव जगे, जगे प्यास रक्त में भक्ति का संचार हो, सभी देशभक्त में जीवन में त्याग हो,
समर्पित हृदय हो स्वतंत्रता की जय हो, वीरगति विजय हो
अभिमान है सम्मान है, तिरंगा परम पूज्य है राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान,
धरती परमपूज्य है राष्ट्र में, मनुष्य में, प्रेम का विलय हो स्वतंत्रता की जय हो, वीरगति विजय हो
मस्तक पर तिलक कर, दृढ़ निश्चय करो सामर्थ्य की पहचान हो,
स्वयं से परिचय करो भूमि संग जननी से, आगाध ही प्रणय हो स्वतंत्रता की जय हो, वीरगति विजय हो
रणभेरी है बज उठी, तत्पर प्रत्येक वीर है हर्षित माँ भारती,
नहीं पलकों पर नीर है शत्रु के संहार पर, तत्क्षण निर्णय हो स्वतंत्रता की जय हो, वीरगति विजय हो.