लघुता में गुरुता
लघुता में गुरुता
गुरु तीमिरान्ध का उदित भानु
कर दे तम नाश, दे ज्ञान,प्रकाश
गुरु शिष्य की रूह में उतर
जीवन की राह दिखाता।
गुरु मोह त्रस्त अर्जुन का तारणहार
कृष्ण सा सारथी,
सखा, सृजनहार
गुरु चाणक्य,
चंद्रगुप्त का चरित लिखता।
गुरु रामकृष्ण,
नरेंद्र को विवेकानंद बनाता
गुरु द्रोण, पार्थ से धनुर्धर का गुमान
गुरु राधाकृष्ण,
शिक्षा संस्कृति की पहचान।
गुरु लेता है परीक्षा,
देता है दंड, तोड़ता है घमंड
पर स्नेह और मार्गदर्शन की
डोर से बांधता अखंड।
गुरु धोबी, जो तन को ही नहीं,
मन को भी धोता है
गुरु खुद को फना कर
शिष्य
को आबाद करता है।
उसके यश, नाम,
शोहरत में नींव का
पत्थर बनता
जगाता उम्मीद,
विश्वास बन
आत्मबल देता संबल।
गुरु लघुता में
गुरुता सबक सीखाता है
गुरु राष्ट्रधर्म सर्वोपरि
का पाठ पढ़ाता
गुरु कबीर, तुलसी,
चंद्रगुप्त, गांधी, कलाम।
सायना, सचिन,चंद्रगुप्त सी
शख्सियत बनाता
गुरु महता लिखने का
मेरा लघु प्रयास।
है जैसे सूरज सम्मुख
दीपक की आस
गुरु अनंत, गुरुकृपा अनंत,
गुरुवे नमः गुरुवे नमः।