क्योंकि ज़िंदगी है तो सबकुछ है
क्योंकि ज़िंदगी है तो सबकुछ है
1 min
245
ज़िद है मेरी अब
तुझे भूल जाने की
कसम है कसम को भी
ना तेरी याद आने की
पलकों में आँसू लेकर
रोऊंगा नहीं
जब भी लगेगा
सावन की तरह
प्रेम कहानियों का मेला
तब भी रह लूंगा
सूखी लकड़ियों की तरह
उस भीड़ में अकेला
जख्मों से कह दूंगा
अपनी औकात में रहो
हर दर्द को
बाहर का रास्ता दिखा दूंगा
बता दूंगा
दुनिया वालों को
ना दिल जला हूं
ना दिल फेंक हूं
मैं ज़िंदा दिल हूं
अपनी ज़िन्दगी की
अहमियत को समझता हूं
क्योंकि ज़िन्दगी है
तो सब कुछ है...!