क्यों डरता है
क्यों डरता है


रेत में इक घरौंदा बनाया है
हवाओं से लड़ना सिखाया है
मुसीबतों का वक्त मुक़र्रर नहीं
आकर कभी भी सताया है
चलते जाना इक बड़ा काम है
टूटना कायरों के हिस्से आया है
मनुष्य हो तो जी-जान से लड़
मंजिलें मिलें जो कदम बढ़ाया है
मुसीबतें आतीं तुझे फौलादी करने
वरना सबको बस नाच-नचाया है
पड़े विपदा तो जानवर भी लड़ते
अरे! तूने क्यों सिर लटकाया है
मुफ़लिसी से शेर घबराते नहीं हैं
सादगी ने ही तो नाम कमाया है
आँख की किरकिरी जिसके लिए हम
उसने ही तो जीवन जीना बताया है
ताने सुने, गुने और चलता रहा जो
"निश्छल" फिर जरूर लक्ष्य पाया है