क्या पत्नी गुलाम है ?
क्या पत्नी गुलाम है ?
पति पत्नी का रिश्ता है प्यारा
समझो इसकी गहराई मेरे यारा
कितने रिश्ते जुड़ जाते हैं
बनता सुंदर संसार प्यारा प्यारा।
होती है किसी बात पर तकरार
समझाओ एक दूजे को प्यार से
रखो एक दूजे का मान मेरे यार
बात पूरी करवाओ ना धौंस से।
पति कहता मैं बड़ा हूं मैं सही हूं
पत्नी कहती समझदार कम नहीं हूं
फिर होती दोनों में तकरार है
आती क्यों नौबत ऐसी हर बार है।
अहम की फिर बात आती है
अक्ल घास चरने चली जाती है
बात वही फिर बिगड़ जाती है
नैया खड़ी-खड़ी डूब जाती है।
बात अटक वहां जाती है
पति को समझ नहीं आती
बात अपनी बस मनवानी है
जीत उनकी हट बन जाती है।
पति गहराई से नहीं समझते
अपनी गलती वो नहीं मानते
क्या होगा परिणाम नहीं जानते
अच्छे बुरे को नहीं पहचानते।
समझाएं पत्नी बात नहीं मानते
क्यों पत्नी को कुछ नहीं समझते
लड़ झगड़ उसे चुप कराएं
कदर पत्नी की क्यों नहीं करते।
राजनीति पत्नी से वो करते
झूठ बोलते और बात बदलते
होते कहीं ,कहीं और बताते
लोकेशन भी हमसे वो छुपाते।।
पकड़ी जाए जब उनकी चोरी
सौ सौ बहाने वो बनाते
कमियां देखो भर भर निकालें
तारीफ कभी ना मुंह से निकाले।।
दोस्त का फोन आ जाए
रात10:00 बजे भाग जाएं
कभी ना उनको आलस आए
चाहे कुछ भी हो जाए।
माना के दोस्त जरूरी है
दोस्ती अपनी पूरी निभानी है
चलाती हैं जो पत्नी घर संसार
उसका करना आपकी जिम्मेदारी है।
पत्नी ने कहा यह लाना है
थक गया बनाया बहाना है
या फोन करके साइलेंट पर
पत्नी का फोन नहीं उठाना है।
फोन करती हैं जब पत्नी
बीच में काट देते हैं
बात वो पूरी सुनते नहीं
दिल को जला देते हैं।।
देर हो जाती चिंता करती
बार-बार वो फोन घुमाती
कैमरा लगा दो सर पर
आवाज उधर से सुनाई देती।
पत्नी सोचती चलो सब ठीक है
कम से कम फोन तो उठाया
अब तो आदत सी हो गई है
क्या हुआ जो इतना सुनाया।।
खाए पिए और मौज उड़ाए
चैन से बिस्तर पर सो जाए
बैठी है इंतजार में पत्नी
भूखी प्यासी भाड़ में जाए।
ना पत्नी के मन की सुने
ना अपने दिल की बताएं
पत्नी को ना कुछ समझे
उसे ना अपना भेद बताए।।
पत्नी से हर बात छुपाते
सबका उसे बुरा बनाते
थकते नहीं बुराई करते
मुंह पर बस भले बन जाते।
बिन बताए घूमते रात भर
शान उनकी कभी जाती नहीं ।
हो जाए पत्नी थोड़ी लेट
खूब सुनाते गेट खोलते नहीं।।
क्या पत्नी एक गुलाम है
क्या नारी होना पाप है ।
क्या ऐसा ही चलता जाएगा
बताओ क्या कोई समाधान है।