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usha verma

Children Stories

4.3  

usha verma

Children Stories

रंग बरसे

रंग बरसे

1 min
201



रंग बरसे भीगे दुनिया सारी,

होली मनती रहे सदा हमारी।


 जब हम छोटे बच्चे थे,

 बड़ी शरारत करते थे ।

आजाद पंछी थे हम ,

खेलते कूदते मुस्कुराते थे।


 यूं ही मौज उड़ाते थे ,

टेंशन ना हम लेते थे ।

होली के रंग में बस,

 हम तो यूं ही रंग जाते थे।


 एक आलू को काटते ,

उसमें काली स्याही लगाते ।

 चुप-चुप जाकर एक दूजे के

 कमर पर हम तो लगाते ।


 वाह रे वाह वाह रे वाह

 वो भी क्या दिन थे

 

बाल्टी में पानी भर कर ,

उसमें देते थे रंग उड़ेल।

उसमें देते थे पिचकारी 

एक दूजे को नहलाते थे ।


अच्छे होते रंग-बिरंगे,

रंग इतना सुख देते हैं ।

इन रंगों को भी देखकर,

होली की याद दिलाते हैं।


इन रंगों के बिना सूनी पड़ी ,

होली रंगों से ही खेले हम ।

महिमा बड़ी न्यारी लगती 

एक दूजे को ढूंढे हम।



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