Pulkit Mishra
Abstract
परख लो
सच्चा हूँ या जूठा जान जाओगे
में कह दूंगा
तो क्या मान जाओगे।
क्या मान जाओग...
दृढ़ संकल्प और ईश कृपा से, होंगे अग्रसर सदा हम नियत प्रगति पथ। दृढ़ संकल्प और ईश कृपा से, होंगे अग्रसर सदा हम नियत प्रगति पथ।
अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में चेतना जागृत करने का प्रयास कर रही हूँ ! अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में चेतना जागृत करने का प्रयास कर रही हूँ !
मैं उस बगिया की गरिमा हूँ जहाँ आकर मैं इस घर की बेटी कहलाई। मैं उस बगिया की गरिमा हूँ जहाँ आकर मैं इस घर की बेटी कहलाई।
पर चाहकर भी मिल भी नहीं पाओगे और उस दिन तुम बहुत पछताओगे। पर चाहकर भी मिल भी नहीं पाओगे और उस दिन तुम बहुत पछताओगे।
मुझे मेरी माँ पर गुरूर होता है आखिर मैंने सब कुछ तो पाया है तुमसे। मुझे मेरी माँ पर गुरूर होता है आखिर मैंने सब कुछ तो पाया है तुमसे।
लापरवाही पर पड़ता भारी पट प्राण हर गया कोरोना। लापरवाही पर पड़ता भारी पट प्राण हर गया कोरोना।
मुकम्मल होगी वो मुलाकात फिर कभी ना मिलने वाले वादे के साथ। मुकम्मल होगी वो मुलाकात फिर कभी ना मिलने वाले वादे के साथ।
हाथों की लकीरों की पहचान खो गई। हाथों की लकीरों की पहचान खो गई।
शिव बाबा चले आओ, कैसा ये नज़ारा है। शिव बाबा चले आओ, कैसा ये नज़ारा है।
लेकिन ज्यादा चाय पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। लेकिन ज्यादा चाय पीना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।
यही अब डर दिल में, खो न दूँ अपनी मजिंल। यही अब डर दिल में, खो न दूँ अपनी मजिंल।
रोती हुई आंखों के आंसू नहीं पढ़ पाया। रोती हुई आंखों के आंसू नहीं पढ़ पाया।
इसलिए हवाओं के रुख को आगोश में लेती रही। इसलिए हवाओं के रुख को आगोश में लेती रही।
और अपनी इज़ज़्त बनाकर मुझे कोई और ले गया। और अपनी इज़ज़्त बनाकर मुझे कोई और ले गया।
सब्जी लाने को कहा है ये सोचता रहता है सोचता रहता है सब्जी लाने को कहा है ये सोचता रहता है सोचता रहता है
याद रखना इस दोस्ती को, तू ज़िन्दगी की हर मंज़िल में। याद रखना इस दोस्ती को, तू ज़िन्दगी की हर मंज़िल में।
गिनती तेरी होती मेरी साँसों में जब तेरी सांस से मेरी सांस टकराई होती। गिनती तेरी होती मेरी साँसों में जब तेरी सांस से मेरी सांस टकराई होती।
एक दूसरे से नाता तोड़ एक दूसरे से दूर कहीं चले जाना। एक दूसरे से नाता तोड़ एक दूसरे से दूर कहीं चले जाना।
न समझे हैं न समझेंगे कि क्या मंज़र सजाया है। न समझे हैं न समझेंगे कि क्या मंज़र सजाया है।
कांटों का भी हक़ है तुझ पर फूल ही फूल चुनने की कोशिश न कर। कांटों का भी हक़ है तुझ पर फूल ही फूल चुनने की कोशिश न कर।