क्या जरूरी था!
क्या जरूरी था!
छोड़ दिया तेरी यादों से खुद को सराहना,
छोड़ दिया उन गलियों को, जहाँ मुकम्मल था तेरा आना।
छोड़ दिया उन सारी आदतों को, जिनमें वाकिफ था, तेरा याद आना,
पर फिर भी न जाने क्यों हर बार, तुझे ही खुद में पाया।
क्या तेरे एहसास का, इतना जरूरी था मुझमें बस जाना?
