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PRAVIN MAKWANA

Inspirational

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PRAVIN MAKWANA

Inspirational

कुर्बानी

कुर्बानी

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लाखों ने दी कुर्बानियां

लाखों मिट गई कहानियां

बहनों ने भाई खोए

माओँ ने खोए लाल

सीने पर पत्थर रख लिए

बन गए क्रांति की मिसाल

गोली से भी ना डरे कभी

लाठी,भाले और तलवारें 

हंसते हंसते कुर्बान हो गए

जिंद जान देश पर वारें

बच्चा,बूढ़ा या था जवान

परवाह नहीं की जान की

उनको तो दिखती थी बस

आजादी हिंदुस्तान की

फांसी की सजा या काला पानी

देखा ना कभी पीछे मुड़कर

झूले फांसी,मुस्कान लिए

चूमा मौत को आगे बढ़कर

महिलाओं ने भी साहस से

किया मुकाबला फिरंगी का

अंजाम हुआ चाहे जो भी

साथ ना छोड़ा संगी का

भूखे - प्यासे,हुए लहूलुहान

क्रांति की मशाल ना बुझने दी 

भारत मां की आजादी को

अपनी जिंदगी सुलगने दी

हाथ कटे, टांगे सुन्न हो गई 

सिर अलग हो गए,धड़ से

वो लड़ते रहे,जख्मी होकर

बेशक प्राण गए थे झड़ से

आजाद,भगत,चंद्रशेखर ने

था अंग्रेजो को ललकारा

लक्ष्मीबाई सरीखी वीरांगनाओं ने

साहस एक पल भी ना हारा

थे ढेर लगे लाशों के हरसू

पर खून में था उबाला

जालिम अंग्रेजो के वजूद को

नेश्तेनाबूत कर डाला

मिट जाना देश की खातिर

था जुनून मस्त मलंगा

नमन तुम्हे आजादी के दीवानों

फहरा दिया आजाद तिरंगा।


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