कुछ भी हो जाय।
कुछ भी हो जाय।
किसने पूछा हमसे,
आप कैसे लिखते हो?
क्यूँ लिखते हो?
किस वजह से लिखते हो?
हमने उन्हें अपना जवाब
उनको बताते हुए कहा....
कुछ हालात के मारे हैं।
कुछ दिल से टूटे हैं।
कुछ हमारी ग़लती थी।
कुछ अपनों के ज़ख्म हैं।
कुछ भरोसा करके हारे हैं।
कुछ नसीब ख़राब है।
कुछ जिंदगी ने सीखाया।
कुछ जिंदगी में गंवाया।
और क्या कहूं मैं अपनी कहानी......
जो मेरी होकर भी ना मेरी है,
देखा जो सारी दुनिया में तो
सबकी कहानी मेरे जैसी ही है।
लिखते हैं बस इस लिए,
शायद कोई समझ सके और
शायद हम सबको समझा पाए।
मत हिम्मत हारो चाहे कुछ भी हो जाए।।