Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Abhishek Tyagi

Romance

2  

Abhishek Tyagi

Romance

कुछ बातें

कुछ बातें

2 mins
315


चल आज कुछ तेरे बारे में बात करता हूँ

कैसे सुबह बैठ के ही मैं दिन को रात करता हूँ


कैसे करूँ यकीन अपने साथ जो हुआ है

मैं भूल भी नहीं सकता की कल रात जो हुआ है

कैसे तूने उसको इतनी पास बुला लिया

कैसे तूने उसको बाहों में ही सुला लिया

क्या याद नहीं आई अपनी पहली रात जो थी

क्या वो भी भूल गयी अपनी हुई बात जो थी

क्यों तूने उसको एक बार भी इंकार नहीं किया

या तूने मुझ को ही कभी प्यार नहीं किया


तू बैठ तो एक पल कुछ बातें कहने दे

अब चिंता मेरी मत कर, दर्द को ऐसे ही रहने दे

कुछ पूछने है सवाल, बस उनका जवाब दे दे

कितने सपने टूट गए मेरे, उनका हिसाब दे दे


एक साल पहले क्यों मुझे पीछे से आवाज़ मारी थी

फिर हाथ पकड़ के मेरा, बात कही तूने सारी थी

रोज़ तू ही ज़िद करके मिलने को कहा करती थी

तू पूरी मुझ में थी, अकेले कहाँ रहा करती थी

पहली चिट्ठी भी प्यार की मुझ को तूने ही दी थी

हाथ से मेरे पहली चाय भी तूने ही पी थी

तू ही तो हर बात पर मेरे गाल छुआ करती थी

फिर अगर मैं रूठ जाऊँ, तो गुस्सा तू हुआ करती थी


मैं जानता हूँ बात ये तुझे चुभ रही होगी

पर तेरी मेरी दूसरी शाम भी फिर नहीं होगी

अब आँख से तेरे आँसू भी मैं रोक नहीं सकता

अब तू मेरी कहाँ रह गयी, तुझे मैं टोक नहीं सकता

तेरे से ज्यादा उम्मीद नहीं है, बस अनजान का

नाम याद रखना

मुझसे मिलने को तू भी तरसेगी, बस वो शाम

याद रखना

बस एक बात बची है जो तुझसे कहनी बाकी है

तू तो शाम तक चुप हो जाएगी, अभी आँख मेरी

बहनी बाकी है


सब कुछ तो बता दिया, तेरे चेहरे से नक़ाब भी

नहीं हटाया

तू खुद को पहचानेगी कैसे, मैंने तो तेरा नाम भी

नहीं बताया



Rate this content
Log in

More hindi poem from Abhishek Tyagi

Similar hindi poem from Romance