:कटु पर सत्य
:कटु पर सत्य
उनसे दूर होना ही
बेहतर होता हैं...
जो आपकी असली
कीमत न जानते हों..!
दूर होना भी कहाँ
आसान होता हैं…
यादें घर किये गहरी
पैठ बनाये बैठी होती हैं…!
धूमिल ही सही पर
साथ के क्षण मंडराते हैं…
साये के तरह संग-संग
यादों से जुदा एक पल नही …!
साथ होने की सफाई
बोलो कब तक दी जाए…
अब क्यो न बनावटी साथ से
बस अलग हुआ जाए…!
हर तरफ बिखरी सी
नजर आती हैं तन्हाइयां…
आओ अब क्यों न इन्हें
बस समेटा जाए…!