कसम
कसम
ऐसे थोड़े ही चलता है मेरी जान
पल भर रखा रिश्ता पल भर में तोड़ दिया,
ये मोहब्बत है कोई खेल थोड़ी जो
पसंद न आया दिल तो खिलौना समझकर तोड़ दिया,
और जब इतने ही पक्के हो अपने इरादों के तुम
तो फिर ये बताओ, मुझसे जुदा होकर जिंदा कैसे हो तुम,
तुमने तो रखा था कसमों में सांसों को दाब पर
फिर मुझसे जुदा होकर तुमने जीना क्यों नही छोड़ दिया !