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Hansa Shukla

Abstract

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Hansa Shukla

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कोरोना ने सिखाया भी

कोरोना ने सिखाया भी

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कोरोना ने बहुत डराया,पर कुछ-कुछ सिखलाया भी।

भाग रही पल-पल जिंदगी को

थोड़ा सा ठहराया भी।

अपनो के साथ रहकर,

अपनो से थे दूर बहुत

उन रिश्तो में एक बार फिर से

अपनेपन का एहसास कराया 

 भी 

माना आराम के साजो सामान

जरूरी है जिंदगी के लिए,

पर बेशकीमती है जिंदगी,

इस सच से रूबरू कराया भी।

मुश्किल का यह दौर भी,

निकल जायेगा ऐ दोस्त,

संकल्पित मन,सयंमित जीवन से

यह सबक सिखलाया भी।

बहुत दिनों से इंसानियत पर

स्वार्थ के थे पर्दे पड़े।

मानवता के पिंजर से फिर

खुदगर्जी का नकाब उठाया भी।

बहुत दिनों के बाद मिले

घर के दरो-दीवार से

संसार के सबसे सुंदर आशियाने से

कोरोना ने ही तो मिलाया भी।।


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