कल और आज
कल और आज
बचपन का
एक वो
दिन था
ना चिंता थी
ना फिक्र थी
कितनी अच्छी
वो जिंदगी थी
मन करता था
ये कर लूँ
या वो कर लूँ
जो जी में आए
वो कर लूँ
मन खुश
हो जाता था
हमेशा ही
खुश रहते थे
जीवन छोटी
लगती थी
दिल बाग बाग
हो जाता था
आजकल तो
टेंशन ही टेंशन है
जीवन है पर
जीना दूभर है
पहाड़ की तरह
यह जीवन लगता
सचमुच जीना
भूल गए हैं
हसीं को सीना
भूल गए हैं
इस जीवन में
बस रोना ही रोना है।
