ख़्वाब
ख़्वाब
जुगनुओं को जरा आफताब कर दूँ।
हकीक़तों को फिर से ख़्वाब कर दूँ ।।
ये दवा, ये रोग, ये पीर, ये आँसू
तुम आ जाओ तो सबका हिसाब कर दूँ ।।
बहुत जवाब देता है बिना सवालों के
एक सवाल पूछूँ तो लाज़वाब कर दूँ ।।
चाँद सितारे सूरज और जाने क्या क्या होंगें
वक्त मिले तो इस चेहरे को बेनकाब कर दूँ ।।
जिसको पढ़ना है तो पन्ने पलटे
अपनी जिन्दगी को ऐसी किताब कर दूँ ।।
मेरे बदन के कांटे मे लिपट के देख
मैं तेरी भी जिन्दगी गुलाब कर दूँ ।।
