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Nehal Vaidya

Drama

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Nehal Vaidya

Drama

ख़्वाब

ख़्वाब

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जब पलकों से कोई ख़्वाब

गिरता है

तो नींद भी मचल जाती है

उसके पीछे

दौड़ जाती है

आँखों को खुला छोड़ कर।


ख़्वाबों का पीछा करना

कहाँ आसान है

न जागते न सोते

फिर भी

न जाने क्यूँ

ख़्वाबो से नींद का

सौदा करने की आदत सी

हो गई है।


ख़्वाब;

क्या है...

अरमानों के रंग से

दिल के केनवास पर खिंची

एक तस्वीर।


लहू की गर्मी से

मन के आसमान में

उठते बादल।


रूह की प्यास के लिए

बहता झरना।


ज़िन्दगी की भागदौड़ में

छूटे लम्हों की लड़ी

अनकहे शब्दों से

लिखी गई

एक कविता।


अनदेखी मंजिलों का

नक्शा,

माझी से आये हुए

अनसूने पैगाम,

किसी के लिए

जीने की वजह

तो मरने का बहाना

किसी के लिए।


मन की रातों का

सूरज !

मन की ऋतुओं की

बारिश !


ज़िन्दगी के हाथों

टूटता-जुड़ता

एक शिल्प !


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