खुशी
खुशी
खुशी छूपी हाेती हैं..
हरएक के हरएक पलाें में..
काेई जमीनपर साेकर,
दुःखाे से हाेकर,
झूठे सपने बाेकर,
सारी खुशिया खाेकर..
भी खुश रहता हैं..
ताे काेई..
बिस्तर पर साेकर,
सुखों से हाेकर,
बडे सपने बाेकर,
सारे गम खाेकर..
भी दुखी रहता हैं..
पर.. खुशी छुपी हाेती हैं..
हरएक के हरएक पलाें में..
बस.. उसे महसूस करना आना चाहिए.....
