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Kaustubh Wadate

Abstract

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Kaustubh Wadate

Abstract

सोचता रहता हैं..

सोचता रहता हैं..

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सुबहके अख़बारमें आती है

नेताओं के भ्रष्टाचार की खबरें,

वो अक्कड़-बक्कड़

करके Vote देकर आता है


रास्तेमें दिखते हैं रोज के

जाती-जातीयों के झगड़े,

वो अपनी जात छुपाकर,

चुपचाप निकल जाता है


Facebook पर किसानों की

Suicide Stories पढ़ता रहता है

और नीचेके Posted Joke

को Share करता रहता है


रास्तों पर अनाथ बच्चों को

रोज गुजरते देखता है

और बुधवारको मंदिर में

हज़ार का चढ़ावा देकर आता है


रात को TV पे आती हैं रे

प की Latest news,

वो अपनी छोटी बेटी को

Cartoon लगाने बोलता है


Office से घर आते समय,

सब कुछ बदलने का

ख्याल आता है उसे,

पर बीवी ने.. आज कौनसी

सब्जी लाने को कहा है

ये सोचता रहता है

सोचता रहता है

बस सोचता रहता है।


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