कहानी
कहानी
मोह्हबत सफऱ पे हुई कहानी शुरू हमारी
पर शायद समाज को मंजूर नहीं थी कहानी हमारी
बिन मौसम की बरसात मै भी साथ थे
पर खुदा को हमारी नजदीकिया मंजूर नहीं थी
हम तो तेरी सोहबत से खुशनसीब हुऐ
पर हमारी खुशनसीबीया दुनिया को नहीं थी मंजूर
बिछड़े है आज उस गली जिस गली फूल थे छाये कभी
मौसम आज भी वही है बस साथ हम नहीं है
दुनिया ने रखी कहानी अधूरी हमारी
पर दुआ है रब से कभी अधूरी ना हो तेरी खुशियों की कहानी।