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Jyoti Khari

Abstract Tragedy

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Jyoti Khari

Abstract Tragedy

ख़ामोशी तक का सफ़र

ख़ामोशी तक का सफ़र

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दिल की आवाज का…

होठों की खामोशी तक का एक सफ़र रहा।

बाद जाने के उनके…

कुछ ऐसा ये असर रहा।

इस रिश्ते की डोर में गांठें ही गांठें पड़ी है…

भूली बिसरी यादें फिर सामने खड़ी हैं।


जिंदगी का फलसफा तो देखो…

जिंदगी टुकड़ों- टुकड़ों में बिखरी है।

थाम लेती उस लम्हें को…

जो बिताया था लम्हा उनके साथ-

अगर मालूम होता वो साथ का लम्हा आखिरी है।


तेरे लहज़े में बेरुखी रही हमारे लिए…

दिल में दबी हुई- सी एक यही खलिश है।

फिर वही तुम्हारे साथ बिताए हुए-

पल वापस आ जाएं एक यही ख्वाहिश है।

संग जीना तो नामुमकिन है…

जनाज़े में संग तेरे-

मेरा ये जिस्म भी साथ जाए मेरी रब से यही फरमाइश है।


हमें तुम्हारा इंतजार रहेगा…

बेपनाह प्यार तुमसे ही हर जन्म में हर बार रहेगा।

बाद मरने के…

तेरी नफ़रत मेरे जिस्म पर बनकर रहेगी कफ़न…

हमारी मोहब्बत की मज़ार में हमारी मोहब्बत हो जायेगी कहीं दफ़न।

कहीं पन्नों में दफ़न ये हमारी कहानी हो जायेगी।

जीते जी न सही-

बाद मरने के तेरे नाम हमारी ये ज़िंदगानी हो जायेगी….!


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