कौन रचना बनती है कालजयी ?
कौन रचना बनती है कालजयी ?
मधुर व्यवहार से
क्रुद्ध शिला भी
विनयी बन जाती है।
नित आग्रह से
रूठी प्रिया भी
परिणयी बन जाती है।
वीरता से
कायर योद्धा भी
दिग्विजयी बन जाती है।
उतरकर आती है जो
आत्मा से
कागज पर,
वह रचना
जरूर एक दिन
कालजयी बन जाती है।