कौन कहता है ?
कौन कहता है ?
थोड़ा सा थका था, मां की गोद में सोया हूं !
कौन कहता है ? की मैं कहीं खोया हूं।
आंधी आकर चली जाती हैं।
हवा मगर हरघड़ी बहती है।
रोज नई मोड़ से बहने वाली मै एक हवा का रुख हूं।
कौन कहता है ? कि मैं खोया हूं।
सुनहरे इतिहास का मै साया हूं।
सच्चाई की उजालों में सदा साथ रहा हूं।
कौन कहता है ? कि मै खोया हूं।
वक्त का क्या जोर ! की हम पे पाबंदी लगाए,
मैं तो अपनी, खुशी से यहां ठैरा हूं।
कौन कहता है कि ? मै कहीं खोया हूं।