काश मेरा बचपन फिर आता...!!!
काश मेरा बचपन फिर आता...!!!
काश मेरा बचपन फिर आता
दिल खुशियों से भर जाता
बचपन की जब होती है बातें
अचानक ही यूँ याद आ जाते हैं वह दिन वो शरारतों भरी रातें
उस वक़्त कितना था लोगों के लिए अपनापन
कितना प्यारा था मेरा वह बचपन
वो स्कूल में टीचर को करंट पेन लगाना
फिर उनके सामने बिल्कुल मासूम बन जाना
बचपन में न कुछ पाने की कोई ख्वाहिश होती थी
और ना कुछ होने का कोई गम होता था
बस जीते चले जाते थे उन अंतरंग पलों की जिंदगी को
दशहरा पर पापा हमारे लिए समोसा जलेबी लाते
उन्हें हम भाई-बहन मिल बैठकर खूब खुशी से खाते
काश मेरा बचपन फिर आता
दिल खुशियों से भर जाता
बड़े होते ही सब कुछ इस कदर बदल गया
वक्त का पता ही नहीं चला बस वह बचपन याद बन गया
और अब पता चला
असल जिंदगी तो वो थी
जब हमको मालूम ही नहीं था
कि यह जिंदगी क्या है
वो रात में खुले आसमां में सोना
और मां से कहानी सुनने के लिए रोना
वो बेफिक्री में जीना
खुलकर हंसना, खुलकर रोना
बारिश में भीग-भीग कर नहाना
वो कागज की कश्ती पानी में बहाना
फिर अचानक बीमार पड़ने पर पापा से खूब डाँट खाना
और बीमारी का बहाना बनाकर
स्कूल से छुट्टी पाना
काश मेरा बचपन फिर आता
दिल खुशियों से भर जाता...!!!!
