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Reenu Bhardwaj

Abstract

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Reenu Bhardwaj

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काश मैं उसे बता पाती

काश मैं उसे बता पाती

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काश मैं उसे बता पाती

उसके पास जा पााती, 

तब तक वह उड़ जाती थी


मुझे देख डर जाती थी, 

जब वह मेरे घर आती

खिड़की में लगे दर्पण में


अपनी छवि देखकर

जोर जोर से है बुलाती, 

लगता उसे है कि मेरे घर में

उसका कोई है साथी, 


काश मैं उसे बता पाती

उसके पास जा पाती।


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