कान्हा संग प्रीत
कान्हा संग प्रीत
कान्हा मेरे मन मंदिर में,
राज तुम्हारा रहता है।
प्यार भरे दिल के आँगन में,
दीप प्रेम का जलता है।
नैना तेरे है कजरारे,
जादू मुझ पर हैं डारे।
मोर मुकुट माथे पर तेरे,
ओ श्याम खूब ही जंचता है।
अधर थरी तेरे प्यारी वंशी,
मंजुल राग सुनाती है।
राधा रानी के दिल का वो,
चैन चुरा ले जाती है।
यमुना लहरें कदंब की डाली,
तुझे देख कर झूमें हैं।
ग्वाल सखा और धेनु तेरे,
आगे पीछे घूमे हैं।
यमुना तट पर खड़ी गोपियाँ ,
राह तेरी ही देख रही।
मुरली तूने मधुर बजाई,
सारा गोकुल झूमे हैं।
मेरा भी मन मचल रहा है,
सुध- बुध अपनी बिसराऊँ।
जब जब तेरी बजे बाँसुरी,
मैं भी पायल छनकाऊँ।
तेरे लिए सजा कर बैठी,
अपना आँगन चौबारा।
पल- पल तेरी राह निहारूँ,
नीर नयन से छलकाऊँ।