जवान
जवान
घर छोड़कर अपना वो,
दूसरों के घरों को बचाने जाता है।
"एक आज़ाद भारत" को,
"एक महफूज़ भारत" बनाने जाता है।
मज़हब, जाति जो भी हों उसके,
लेकिन खून तो भारतीय का बहता है!
अपनी मां का ख़्याल नहीं,
भारत की मिट्टी को "मेरी मां" कहता है।
कमाई कुछ नहीं चाहता वो,
काम बस बंदूक चलाने का करता है।
बहुत कम मिलते हैं उसे ऐसे दिन,
जब वो अपने परिवार से मिलता है।
यहां हम एक ज़ख्म बर्दाश्त नहीं कर पातें,
वहां वो न जाने कितनी गोलियां सहता है!
यहां हम भारत में हैं रहतें,
वहां भारत उसके दिल में रहता है!
पास देखकर मौत को,
वो न डरता न घबराता है।
जहां हम रोने लगतें,
वहां वो हँसता रह जाता है।
जहां भारत चैन की नींद ले रहा होता,
वहां वो भी सपनों में खो जाता है।
मौसम कोई भी हो चाहे,
तिरंगे को कंबल समझकर ओढ़कर सो जाता है।
अपने देश के लिए वो,
ख़ुद को कुर्बान कर जाता है।
अपनी उम्र तिरंगे को सौंपकर ही तो,
वो "जवान" कहलाता है..
अपनी उम्र तिरंगे को सौंपकर ही तो,
वो "जवान" कहलाता है!
