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Srishty Bansal

Abstract

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Srishty Bansal

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वो "समंदर" ही क्या..

वो "समंदर" ही क्या..

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वो "समन्दर" ही क्या,

जो "तैरना" न सिखाए।


वो "वक्त" ही क्या,

जो हालात से "लड़ना" न सिखाए।


वो "आसमान" ही क्या,

जो "उड़ना" न सिखाए..


और वो "ज़िंदगी" ही क्या,

जो "मरना" न सिखाए!



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