ज़रूरी नहीं
ज़रूरी नहीं
1 min
168
ज़रूरी नहीं कि
तुम जानो
कौन सोचे तेरे बारे में क्या?
क्यों?
कब तक दूसरों की सोच पर
ज़िंदगी जीओगी तुम
मन की कर
भले हो जाएँ दंगे जहान में
कम से कम
भीतर का भंवर तो सम्भल जाएगा।