ज़रा ज़रा
ज़रा ज़रा
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ज़रा उन बातों को अपना बनाकर देखो,
ज़रा उन यादों को खुद से लगाकर देखो।
ज़रा उन राहों पे तुम चल के देखो,
उन सासों को एक दफा महसूस करो।
दिखेगी वोह परछायी , वोह तरप्ती हुई सांस,
ज़रा उसको खुद में बसाकर देखो।।
ज़रा उन बातों को अपना बनाकर देखो,
ज़रा उन यादों को खुद से लगाकर देखो।
ज़रा उन राहों पे तुम चल के देखो,
उन सासों को एक दफा महसूस करो।
दिखेगी वोह परछायी , वोह तरप्ती हुई सांस,
ज़रा उसको खुद में बसाकर देखो।।