जो लड़कियाँ हैं
जो लड़कियाँ हैं




उन्हें तुम्हारे पैदा होने पर,
खुशी नहीं हुई थी
उन्हें तुम्हारे मरने का
ग़म भी नहीं होगा
उन्हें तुम्हारे हर
बर्ताव से चिढ़ है
और हर मुस्कान
से नफ़रत
तुम्हारे बढ़ते
कदमों में काटें हैं
उन्होनें तुम्हें
चुन-चुनकर दर्द बांटे हैं
पर याद रखना,
ये माचिस की तीली इन्हें
नहीं जला पाएगी
ये फिनाइल ये जहर उनका
कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे
बल्कि ये तुम्हारे जैसी उन सभी
लड़कियों का ख़ात्मा होगा,
जो पेट में बच गयीं
जो ज़िंदा रह गयीं
जो कुछ पढ़ सकीं
जो थोड़ा भी आगे
बढ़ सकीं
जिन्होंने हक खोजा
और वही कहा
जिन्होंने एक
बार भी, 'नहीं' कहा
अपनी नहीं तो उनकी ख़ातिर,
ये तीली, ये बॉटल फेंक दो
ये मुर्दा मन फेंक दो
और सोचो,
अब तक की लड़ाई तो
अनचाही थी
तुमने मजबूरी में,
रो-रोकर लड़ी थी,
अब अगर मन से लड़ोगी,
तो क्या होगा
औरों का भी तो हौसला होगा
अब जंग का मैदान
माँ का पेट,
घर की चार दीवारें,
रसोई, बिस्तर या
अस्पताल नहीं है
अब कुण्डी खुली तो
सारा जहाँ खाली है
तुम्हारी फेंकी तीली,
लावा देंगी उन्हें,
जो ज़िंदा हैं
जो लड़कियाँ हैं