Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

अपनी कब्र सजाने निकले

अपनी कब्र सजाने निकले

1 min
282


क्या कहें अब भला आप से, जो हमको समझाने निकले।

हम भी इतने पागल हैं कि अपनी कब्र सजाने निकले।

 

बात बात में वे भी थोड़ा, भावुक होकर फिसल गए

याद कुरेदी जितनी हमने उतने घाव पुराने निकले.

 

एक अकेले रहकर जुगनू, तम से जब ना लड़ पाया

मिल जुलकर फिर रवि से देखो, थोड़ी आग चुराने निकले।

 

बिना कहे, नज़रों से उसने क़त्ल ए आम मचा डाला

जितनी बार भी आहें भर दी, उतने उसके दीवाने निकले।

 

आज शमा को छोड़ के देखो कहाँ चले नादान भला।

जलना क्या ये भूल गए हैं? बड़े अजब परवाने निकले।

 

भूल जाओ तुम मंदिर मस्जिद, वे कहाँ सत्य का पाठ कहें।

उनसे ज्यादा बढ़कर कितने, पाक साफ़ मयखाने निकले।


Rate this content
Log in