जिंदगी से एक प्रश्न
जिंदगी से एक प्रश्न
यह जीवन भी
बड़ी अजीब है
इसी जीवन के
सफर को
तय करते-करते
न जाने
किस मोड़ पर
खड़ा कर जाती हैं
यह जिंदगी
एक ओर खाई
एक ओर कुआँ
ही दिखाई देता है
ऐ जीवन तुम
क्योंकर ऐसा
करते हो
कभी सुख
और दुख
के संगम में
गोते लगवाते हो
तो कभी इतना
रुलाते हो की
तुमसे घृणा
होने लगती है
लेकिन
अगले ही पल
हंसाते भी हो
ऐ जिंदगी
कभी तुम
पहाड़ की तरह
लगते हो
तो कभी
ऐसा लगता है
कुछ पल
के लिए ही हो
ऐसा क्यों करते हो
एक रुप क्यों नहीं
हो पाते हो
