Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Savithri Iyer

Abstract

4.4  

Savithri Iyer

Abstract

जिंदगी और रंग

जिंदगी और रंग

1 min
25K


आज कल न जाने क्या हुआ है

सारे रंग फिके लग रहें हैं ।

न जाने क्यों कुछ भी नहीं है सुहाता

बस एक सफेद रंग ही है मन को भाता‌ ।।


युं तो रंग हजार है बिखरे सारे जहां में

पर कोई भी ऐसा रंग नहीं है, जो उतरे दिल में।

आंखें नम हो जाती हैं, सांसें थम जाती हैं,

देख दुनिया के अजीब रंगों की खुराफाती है ।।


कभी रंगों की समझ थी हम में भी

कभी रंगों से थी दोस्ती हमारी भी ।

पर ज़माने ने जो रंग छिड़का हम पर

हमें हो गई दुष्वार रंग पर ।।


करते हम भी रंगों से प्यार कब तक

करते रंगों पर ऐतबार कब तक ।

यह रंग ही तो कमबख्त बेवफा निकली

दीदार हमारे हाथों से कि पर

प्यार किसी और की निकली।।


जिंदगी और रंग में यही एक समानता है

दोनों ही दुसरों पर जचते हैं।

संवार लो तो निखरते हैं,

बिखेर दो तो बिगड़ते हैं।।


दोनों ही इक तरफा होते हैं

तभी तो उन्हें बेवफा कहते हैं।

पानी छिड़कते ही रंग उतर जाते हैं

शाम ढलते ही जिंदगी के

आखिरी पल गुज़र जाते हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract